क्या कोपेल आईएसएल में अंग्रेज कोचों को श्रापमुक्त कर सकेंगे

Steve Coppellकोच्चि , 13 अक्टूबर। हीरो इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के तीसरे सीजन में तीन मैचों के बाद भी केरला ब्लास्टर्स एक गोल नहीं कर सका है। अपने पहले ही मैच में उसे नार्थईस्ट युनाइटेड एफसी के हाथों हार मिली और फिर उसे अपने घर में एटलेटिको दे कोलकाता के हाथों शिकस्त मिली।

कोच्चि के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में इस क्लब के समर्थन के लिए 55 हजार से अधिक लोग जुटते हैं लेकिन इसके बावजूद इसके खाते में सिर्फ एक अंक है और वह अंक उसे रविवार को दिल्ली डायनामोज के खिलाफ गोलरहित बराबरी के बाद मिला है।

केरला के कोच स्टीव कोपेल हालांकि यह सब आंकड़े बदलने के लिए कृतसंकल्प दिख रहे हैं। कोपेल न सिर्फ महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के मालिकाना हक वाले क्लब की किस्मत बदलना चाहते हैं बल्कि वह इस बात को भी गलत साबित करना चाहते हैं कि अंग्रेज कोचों के लिए आईएसएल में हासिल करने के लिए कुछ भी नहीं।

कोपेल को इस बात की पूरी जानकारी है कि आईएसएल के बीते दो सीजन में पीटर टेलर, टेरी फेलान और डेविड प्लाट जैसे अंग्रेज कोच कुछ हासिल नहीं कर सके लेकिन कोपेल अंग्रेज कोचों के प्रति लोगों की इस सोच को बदल देना चाहते हैं।

बीते सीजन में इंग्लैंड की अंडर-21 और लीसेस्टर सिटी टीम के पूर्व कोच टेलर ने बीच में ही केरला का साथ छोड़ दिया था। उनकी जगह चेल्सी और मैनचेस्टर सिटी के पूर्व फुल बैक टेरी फेलान को लाया गया था लेकिन उनकी मौजूदगी के बावजूद क्लब तालिका में सबसे नीचे रहा था।

पुणे सिटी में भी मैनचेस्टर सिटी के पूर्व कोच प्लाट भी अपनी टीम को नाकआउट दौर में पहुंचाने में नाकाम रहे थे। पुणे सिटी आईएसएल के सबसे अच्छे क्लबो में से एक है लेकिन वह भी बीते सीजन में सेमीफाइनल में नहीं पहुंच सका था।

आईएसएल के पहले सीजन में केरला के पास गोलकीपर डेविड जेम्स के रूप में एक और अंग्रेज कोच था। बतौर मार्की खिलाड़ी और मैनेजर वह हालांकि केरला को फाइनल में पहुंचाने में सफल रहे। वह सभी अंग्रेज कोचों से भिन्न साबित हुए हैं।

केरला के साथ इस साल जुड़े कोपेल के पास अथाह कोचिंग अनुभव है। कोपेल ने कहा-मैं दुविधा में हूं कि आखिरकार इंग्लिश कोच यहां सफल क्यों नहीं होते लेकि न मैं इस सोच को बदल दूंगा। जब मैं मैनेजर बनाया गया था,तब यही सोचते हुए मैं कई रातों तक सोया नहीं था। कोच्चि में हमें दर्शकों का अपार समर्थन हासिल है। खिलाड़ी भी इसकी तारीफ करते हैं। हमें बदले में दर्शकों को कुछ लौटाना है।-

कोपेल को इस बात का इल्म है कि आईएसएल और ईपीएल में काफी अंतर है। एक 11 सप्ताह चलता है और एक 10 महीने से अधिक समय तक चलता है। हालांकि आईएसएल ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।

बकौल कोपेल-आईएसएल अलग इसलिए है क्योंकि इंग्लिश कोच 10 महीने के प्लान के साथ खेलते हैं जबकि इस मामले में आईएसएल का काल काफी छोटा है। यहां टीमों की कमियों और अच्छाइयों को बहुत कम समय में समझना होता है। यहां टीम से अच्छा प्रदर्शन कराने के लिए काफी कम समय होता है। साथ ही हमें भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों के बीच अच्छा सामंजस्य भी बनाना होता है।-

कोपेल ने आगे कहा-मैं खिलाड़ी और कोच के तौर पर इंग्लिश फुटबाल से जुड़ा रहा हूं। मैंने महसूस किया है कि आईएसएल इंग्लैंड में होने वाली लीग से बिल्कुल भिन्न है। मैं इस तरह के टूर्नामेंट के साथ इससे पहले कभी नहीं जुड़ा। अब मैं यही सोचता हुं कि वह समीकरण कैसे लाया जाए, जिससे कि आईएसएल में सफलता हासिल की जा सके। वैसे मैं इन चीजों को लेकर आशावादी हूं।-